रामचरितमानस के दोहे से पाकिस्तान को भारत ने दी कड़ी नसीहत!

रामचरितमानस में एक प्रसंग आता है जब लंका पर चढ़ाई के लिए प्रभु श्री राम अपनी सेना के लिए समुद्र से मार्ग देने की विनती करते है, किंतु समुद्र ने न रास्ता दिया बल्कि अपने हठ पर अड़ा रहे, जिसके पश्चात प्रभु श्री राम ने अपने तेजस्वी बाण से समुद्र को सुखाने के लिए जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाई, समुद्र गिड़गिड़ाते हुए प्रभु से क्षमा याचना करने लगा।
मानस की चौपाइयों के अनुसार इसी प्रसंग को गोस्वामी तुलसीदास ने "बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति" के माध्यम से लिपिबद्ध किया है, आप भी सोच रहे होंगे बात भारत और पाकिस्तान की हो रही, संघर्ष विराम की हो रही तो उसमें मानस की इन पंक्तियों की चर्चा क्यों? चलिए अब आपको यह समझाते है।
दरअसल,पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के सफल ऑपरेशन की जानकारी देते हुए DG एयर ऑपरेशन, एयर मार्शल एके भारती ने तुलसी दास का दोहा "बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत। बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीति" पढ़कर पाकिस्तान के लिये कहा कि समझदार के लिये इशारा ही काफी है।
भारत ने सीजफायर का पालन तो किया है साथ ही एक बड़ा संदेश यह भी दिया है कि यदि दुश्मन देश की तरफ से गोली चलेगी तो भारत उसका जवाब गोले के माध्यम से देना जानता भी है, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना आतंकी ठिकानों पर हमला करके पाकिस्तान की कमर तोड़ दी, कुछ ही घंटों में पाकिस्तान की सेना की हालत खराब हो गई, हालांकि जब सीजफायर हुआ उसके बाद सेना का मानस की इन पंक्तियों के माध्यम से संदेश देना पाक के लिए किसी नसीहत से कम नहीं है।
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