गाजियाबाद में फर्जी बीमा गिरोह का खुलासा, 50 करोड़ रुपये की ठगी, 25,000 से अधिक लोग शिकार

गाजियाबाद साइबर पुलिस ने एक ऐसे अपराध गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसने देशभर में वाहन बीमा के नाम पर लाखों लोगों को ठगा है। इस घोटाले में 25,000 से ज्यादा लोग शिकार हुए हैं और अनुमान के अनुसार इस ठगी की कुल वित्तीय कीमत 50 करोड़ रुपये से अधिक है। गिरोह के दो मुख्य आरोपियों को रविवार को गिरफ्तार किया गया, जिनके द्वारा किए गए अपराध ने पूरे देश में हलचल मचा दी है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मेरठ के सरताज (51) और गाजियाबाद के दीपक ठाकुर (38) के रूप में हुई है। दोनों आरोपी बीकॉम और बीए डिग्री धारक हैं और गाजियाबाद के आरटीओ कार्यालय में लाइसेंसधारी एजेंट के रूप में कार्यरत थे। साइबर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी (बीएनएस की धारा 318(4)) और आईटी एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
कैसे हुआ यह बड़ा ठगी का खुलासा?
साइबर पुलिस के अनुसार, यह गिरोह खासतौर पर पुराने कमर्शियल वाहनों और लॉरियों के मालिकों को अपना निशाना बनाता था। आरोपियों ने भारी वाहनों के मालिकों से 15,000 से 25,000 रुपये तक का प्रीमियम वसूला, लेकिन पॉलिसी-जनरेशन एप्लिकेशन में हेरफेर करके केवल दोपहिया वाहनों की पॉलिसी बनाई। इन पॉलिसियों की लागत महज 1,500 रुपये होती थी, जबकि बाकी की रकम आरोपी अपने पास रख लेते थे।
पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन से 84 फर्जी थर्ड-पार्टी बीमा पॉलिसियां बरामद की हैं, जिनमें कई बड़े बीमा कंपनियों के नाम थे, जैसे- ICICI Lombard, Magma HDI, Bajaj Allianz, Tata AIG, National Insurance, SBI General Insurance, आदि। पुलिस ने इन कंपनियों से संपर्क करके जांच की गहराई में जाने का निर्णय लिया है।
बीमा रैकेट का मास्टरमाइंड
साइबर पुलिस के अनुसार, गिरोह के मुख्य ऑपरेटरों में से एक आरोपी दिल्ली की एक महिला प्रिया है, जो फर्जी बीमा दस्तावेज तैयार करती थी। प्रिया के तैयार किए गए दस्तावेज़ फिर ग्राहकों को भेजे जाते थे। इस पूरी साजिश के मास्टरमाइंड रोहित कुमार को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम गठित की गई है, लेकिन वह अभी फरार है।
गिरोह ने बीमा ऐप्स में हेरफेर करने का तरीका इतना सहज बना लिया था कि कई वाहन मालिकों को इसके बारे में शक भी नहीं हुआ। पुराने व्यावसायिक वाहनों के मालिक अक्सर थर्ड-पार्टी बीमा खरीदते हैं, जिससे ज्यादा वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती। इसका फायदा उठाकर यह गिरोह कम लागत वाली पॉलिसियां जारी करता था और वाहन मालिकों को धोखा देता था।
अब तक की कार्रवाई
8 मार्च 2025 को आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के उपाध्यक्ष संजय ठाकुर ने गाजियाबाद में दो एजेंटों रोहित और विकास कश्यप के खिलाफ बीमा ऐप में हेरफेर की शिकायत दर्ज करवाई थी। जांच में यह सामने आया कि रोहित ने 12.31 लाख रुपये के प्रीमियम के साथ 858 फर्जी पॉलिसियां जारी की थीं, जबकि विकास ने 18.50 लाख रुपये के प्रीमियम के साथ 128 पॉलिसियां जारी की थीं। इसके बाद पुलिस ने 10 मार्च को चार अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया।
गाजियाबाद पुलिस की इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि साइबर अपराधी अब बड़े पैमाने पर और बहुत ही नाजुक तरीके से लोगों को ठग रहे हैं। पुलिस ने गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश तेज कर दी है और उनका कहना है कि इस ठगी के शिकार हुए लोगों की संख्या अब और भी बढ़ सकती है।
पुलिस की सख्ती और भविष्य की चुनौतियाँ
यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचने के लिए लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। साइबर पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है और इसमें शामिल सभी आरोपियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है। पुलिस का कहना है कि इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाना भी उतना ही जरूरी है।
इस मामले ने एक बार फिर से यह सवाल उठाया है कि क्या हमारे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा उपाय पर्याप्त हैं? देश में बढ़ते साइबर अपराधों के बीच, सख्त कानूनी कार्रवाई और लोगों की जागरूकता से ही इस तरह के अपराधों पर काबू पाया जा सकता है।
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