पहलगाम हमले के बाद पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज, वकील को लगी फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर के दूरदराज इलाकों में पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दायर एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता वकील को कड़ी फटकार लगाई। यह याचिका हाल ही में पहलागाम के बैसरण में हुए आतंकी हमले के बाद दाखिल की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे।
यह याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इलाकों में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए विशेष दिशा-निर्देश मांगे गए थे।
हालांकि, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने न सिर्फ इस याचिका को खारिज किया बल्कि अधिवक्ता तिवारी की मंशा पर भी सवाल उठाए। पीठ ने कहा,
“आपने इस प्रकार की याचिका क्यों दायर की है? आपका असली उद्देश्य क्या है? क्या आप इस मुद्दे की संवेदनशीलता नहीं समझते? ऐसा लगता है कि आपको इस याचिका के लिए एक मिसाल कायम करने वाली लागत चुकानी पड़ेगी।”
पीठ ने स्पष्ट कहा कि यह याचिका जनहित के नाम पर प्रचार पाने का एक प्रयास है और इसमें कोई वास्तविक जनहित नहीं है।
“याचिकाकर्ता लगातार ऐसी याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य केवल प्रचार पाना है, न कि किसी असली जनहित की सेवा करना,” कोर्ट के आदेश में कहा गया।
अधिवक्ता तिवारी ने अपनी दलील में कहा कि पहली बार पर्यटकों को इस प्रकार निशाना बनाया गया है और इसलिए उन्होंने सुरक्षा को लेकर कदम उठाने की मांग की। लेकिन कोर्ट इस दलील से असहमत रहा।
पहलागाम हमला और इसके बाद का तनाव
22 अप्रैल को कश्मीर के पर्यटन स्थल बैसरण, पहलागाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से अधिकांश पर्यटक थे। यह हाल के वर्षों में घाटी में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर सवाल खड़े किए हैं, खासकर उन मामलों में जो राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशीलता से जुड़े हैं।
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