तीन साल बाद जागी बीबीडी पुलिस: अपहरण और लूट के शिकार कैब ड्राइवर को मिली न्याय की पहली किरण

25 फरवरी 2022 की रात लगभग 2 बजे अहमद को बीबीडी क्षेत्र के पास तीन लोगों ने रोका और बाराबंकी तक छोड़ने की बात कही। जब अहमद ने मना किया, तो वे ज़बरदस्ती गाड़ी में घुस आए। थोड़ी दूर चलने के बाद उनमें से एक ने हथियार दिखाकर गाड़ी रुकवाई, अहमद के हाथ-पैर बांध दिए, आँखों पर पट्टी बाँधी और उन्हें पीछे की सीट के नीचे बैठा दिया।
अहमद के मुताबिक, अगली तीन रातें और दिन वे बंदी बनाकर गाड़ी में ही घुमाते रहे। इस दौरान उनसे ₹8,300 नकद, मोबाइल फोन, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और डेबिट कार्ड लूट लिया गया। 28 फरवरी को जब अहमद को होश आया, तो वे यमुना एक्सप्रेसवे पर बेसुध हालत में पड़े हुए थे।
जब अहमद ने बैंक स्टेटमेंट देखा, तो उसमें ₹74,000 की खरीदारी के सबूत मिले — पेट्रोल पंप, शराब दुकान और ऑटोमोबाइल शोरूम में। यह देख उनका शक यकीन में बदला कि घटना सिर्फ अपहरण तक सीमित नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित लूट थी।
अहमद की बार-बार की शिकायतों के बावजूद बीबीडी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। आखिरकार, उन्हें अदालत का सहारा लेना पड़ा। तीन साल बाद अदालत के आदेश पर पुलिस को मजबूरन 9 मई 2025 को मामला दर्ज करना पड़ा। इंस्पेक्टर राम सिंह ने एफआईआर दर्ज होने की पुष्टि की है और जांच शुरू होने की बात कही है।
तीन साल… किसी के लिए यह वक्त ज़िंदगी के नए मुकाम तय करने का हो सकता है, लेकिन बलरामपुर के रहने वाले कैब ड्राइवर अहमद हुसैन के लिए यह समय न्याय की तलाश में दर-दर भटकने का रहा। फरवरी 2022 की उस भयावह रात को जब अहमद लखनऊ से सवारियाँ छोड़कर लौट रहे थे, तब उन्हें क्या पता था कि उनका यह सफर तीन साल लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत बनेगा।
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