अब यह दिन मेरा भी है: मात्र दिवस पर बोली एक्ट्रेस देबोलीना

हर साल मातृ दिवस हमें मातृत्व की शक्ति, त्याग और उस निस्वार्थ प्रेम की याद दिलाता है जो मां अपने बच्चे के लिए रखती है। लेकिन इस साल यह दिन टीवी अभिनेत्री देबोलीना भट्टाचार्जी के लिए कुछ खास है—क्योंकि पहली बार वह इसे सिर्फ बेटी नहीं, बल्कि एक मां के रूप में मना रही हैं।
“मुझे पहले तो याद भी नहीं था कि मदर्स डे है,” वह हँसते हुए कहती हैं। “मैं अपने बेटे ‘जॉय’ में इतनी डूबी हुई थी कि ध्यान ही नहीं गया। लेकिन जब एहसास हुआ तो दिल से एक ही बात निकली—अब ये दिन मेरा भी है।”
मां बनने की शुरुआत: एक यादगार मई
1 मई 2024 की तारीख देबोलीना कभी नहीं भूल पाएंगी। उसी दिन उन्हें पता चला कि वह मां बनने वाली हैं। “टेस्ट पॉजिटिव आते ही मन में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा—डर, उत्साह, आभार। हमने डॉक्टर से पुष्टि की और फिर परिवार को बताया। सब बेहद खुश थे।”
इस यात्रा में उनके पति शहनवाज़ शेख हमेशा उनके साथ खड़े रहे। देबोलीना बताती हैं, “मेरी मां तो कुछ समय बाद काम के चलते लौट गईं, लेकिन शहनवाज़ ने हर पल मेरा साथ दिया। वह हमेशा मौजूद, सहायक और संवेदनशील रहे। हम दोनों ने मिलकर इस अनुभव को सुकून भरा और खुशहाल बनाया।”
पहली मुलाकात: जब ‘जॉय’ ने दुनिया में कदम रखा
18 दिसंबर 2024 को देबोलीना और शहनवाज़ ने अपने बेटे ‘जॉय’ का स्वागत किया। “ऑपरेशन थिएटर में जब मैंने पहली बार उसे गोद में लिया, तो रोना शुरू कर दिया। वो खुशी, वो भाव—उसे शब्दों में पिरोना नामुमकिन है।”
मां बनने के साथ-साथ देबोलीना ने शहनवाज़ में भी बदलाव देखा। “वह पहले से ज़्यादा ज़िम्मेदार हो गए हैं। जब मैं सोती हूं तो निश्चिंत होती हूं क्योंकि पता है कि जॉय की देखभाल वो कर रहे हैं। उनका यह साथ मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत है।”
सोशल मीडिया और एक मां की सतर्कता
मां बनने के बाद, खासकर एक सेलिब्रिटी के तौर पर, देबोलीना सोशल मीडिया को लेकर भी सजग हो गई हैं। “मैं अंधविश्वासी नहीं हूं, पर मैं नहीं चाहती कि मेरा बच्चा इतनी जल्दी दुनिया की नज़रों में आए। दुनिया हमेशा कुछ न कुछ कहेगी। मैं चाहती हूं कि उसकी मासूमियत को जितना हो सके, सुरक्षित रखूं।”
मातृत्व: एक नई पहचान, एक नई शुरुआत
मातृत्व देबोलीना के लिए सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि एक नई पहचान है। एक ऐसी यात्रा, जिसने उन्हें और उनके रिश्तों को एक नई गहराई दी है।
“इस साल मदर्स डे मेरे लिए सिर्फ फूलों या संदेशों का दिन नहीं है, ये मेरी नई शुरुआत का प्रतीक है। अब मैं केवल किसी की बेटी नहीं, किसी की मां भी हूं। और यह एहसास, यह जिम्मेदारी—मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत सच है।”
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