भ्रामक पोस्ट पर हुई कार्यवाही : शाहजहांपुर को लेकर आतंकी हमले की अफवाह फैलाने वाले 3 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एफआईआर

May 11, 2025 - 16:53
May 11, 2025 - 17:01
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भ्रामक पोस्ट पर हुई कार्यवाही : शाहजहांपुर को लेकर आतंकी हमले की अफवाह फैलाने वाले 3 सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एफआईआर
शाहजहांपुर जिले को लेकर हाल ही में सोशल मीडिया पर फैलाए गए आतंकवादी हमले के फर्जी दावे ने एक बार फिर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी और जागरूकता को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। लेकिन इस बार प्रशासन ने त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करके यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अफवाह फैलाना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने वर्तमान वैश्विक और राष्ट्रीय सुरक्षा हालात को देखते हुए सख़्त निर्देश दिए हैं कि भारतीय सेना की कार्यवाहियों को लेकर सोशल मीडिया पर कोई भी भ्रामक सूचना फैलाने वालों को तत्काल चिन्हित कर कानूनी शिकंजे में लाया जाए। इसी क्रम में पुलिस महानिदेशक श्री प्रशान्त कुमार ने सोशल मीडिया पर 24X7 निगरानी बढ़ाते हुए ऐसी अफवाहों के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का ऐलान किया है।
शाहजहांपुर को लेकर वायरल हुआ एक वीडियो, जिसमें फायरिंग और धमाकों की आवाजें सुनाई दे रही थीं, को झूठा बताते हुए यूपी पुलिस के सोशल मीडिया अकाउंट्स से तुरंत खंडन किया गया। जांच में स्पष्ट हुआ कि जिले में किसी प्रकार की आतंकी घटना नहीं घटी है। बावजूद इसके, इस भ्रामक वीडियो को जनमानस में भय उत्पन्न करने और सेना की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से फैलाया गया था।
इस मामले में तीन सोशल मीडिया अकाउंट्स के खिलाफ दिनांक 11 मई 2025 को कोतवाली शाहजहांपुर में मुकदमा दर्ज किया गया है:
1. Parvinda (@parvinda.2023 - Facebook)
2. Ankit Kumar (@ankit__kumar71010 - Instagram)
3. फेक आईडी – “आदित्य भैया सांसद बदायूं” (Facebook)
विशेष रूप से तीसरा अकाउंट, बदायूं के सांसद श्री आदित्य यादव के नाम से फर्जी तरीके से संचालित किया जा रहा था, जिसके संबंध में थाना सिविल लाइंस, बदायूं में एक अलग अभियोग पंजीकृत कर आवश्यक विधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी गई है।
आज जब देश आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है, तब ऐसी अफवाहें न केवल आम जनमानस में अनावश्यक भय फैलाती हैं, बल्कि यह सुरक्षा एजेंसियों और सेना के मनोबल पर भी आघात करती हैं। सोशल मीडिया एक सशक्त माध्यम है, लेकिन यह शक्ति जिम्मेदारी के साथ ही सार्थक हो सकती है।
उत्तर प्रदेश पुलिस का यह कड़ा रुख प्रशंसनीय है, और यह सभी यूजर्स के लिए चेतावनी है कि बिना पुष्टि के कोई भी जानकारी साझा करने से पहले उसकी प्रामाणिकता अवश्य जांचें। अफवाह फैलाना न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि अब यह एक दंडनीय अपराध भी है।

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