कीमत, कायाकल्प और क्लीन एयर: इमल्शन vs गोबर पेंट कौन सँवारेंगा भविष्य की दीवारें?

देश में तेजी से बढ़ती शहरीकरण और पर्यावरणीय चिंताओं के बीच एक नया विमर्श उभर रहा है—क्या पारंपरिक निर्माण सामग्री को जैविक और प्राकृतिक विकल्पों से बदला जा सकता है? इसी चर्चा के केंद्र में है गोबर आधारित जैविक पेंट और इसका तुलनात्मक विश्लेषण इमल्शन पेंट से।
पारंपरिक इमल्शन पेंट वर्षों से हमारे घरों, कार्यालयों और सरकारी भवनों की दीवारों पर रंग भरते आए हैं। लेकिन अब, जब सरकारें और समाज पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं, तो गोबर आधारित पेंट एक वैकल्पिक समाधान के रूप में सामने आया है। आइए दोनों के फायदे-नुकसान और लागत-लाभ पर विस्तार से चर्चा करें।
लागत की दृष्टि से तुलना
• इमल्शन पेंट: बाज़ार में इसकी कीमत 120 से 250 रुपये प्रति लीटर तक होती है। उच्च गुणवत्ता वाले ब्रांड्स में यह कीमत और भी अधिक हो सकती है। इसके साथ प्राइमर, पुट्टी और लेबर की अतिरिक्त लागत जुड़ती है।
• गोबर आधारित पेंट: खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा विकसित यह पेंट लगभग 55 से 70 रुपये प्रति लीटर में उपलब्ध है। यह पूरी तरह जैविक होता है और बिना प्राइमर के भी लगाया जा सकता है, जिससे कुल लागत में और भी बचत होती है।
नीचे इमल्शन पेंट और गोबर आधारित पेंट की प्रमुख विशेषताओं, लागत, लाभ और नुकसानों की तुलना तालिका रूप में प्रस्तुत है:
पैरामीटर |
इमल्शन पेंट |
गोबर आधारित पेंट |
लागत (₹/ली.) |
120–250 (ब्रांड व क्वालिटी पर निर्भर) |
55–70 (खादी ग्रामोद्योग मॉडल) |
पर्यावरणीय प्रभाव |
VOCs, रसायनात्मक घुलनशीलता, प्रदूषण |
100% जैविक, VOC-रहित, वायु शुद्धिकरण |
स्थायित्व (ड्यूरेबिलिटी) |
5–7 वर्ष (मिट्टी-प्रतिरोधी, जलरोधक) |
2–3 वर्ष (अच्छा नमी-विरोधी, परन्तु कम टिकाऊ) |
रंगों की विविधता |
विस्तृत रंग–रेंज |
सीमित प्राकृतिक टोन |
प्राइमर/पट्टी आवश्यकता |
अनिवार्य |
सामान्यतः अनिवार्य नहीं |
आवेदन विधि |
रोलर/ब्रश/स्प्रे – चिकनी फिनिश |
रोलर/ब्रश – हल्की खुरदरी बनावट |
उपलब्धता |
समस्त मार्केट, रिटेल स्टोर, ई‑कॉमर्स |
सीमित; सरकारी व खादी विक्रय केंद्रों पर |
रख‑रखाव |
न्यून (वर्षों में एक बार पेंटिंग) |
मध्य (2–3 वर्षों में रीकोटिंग) |
स्वास्थ्य व सुरक्षा |
संवेदनशीलता, एलर्जी, सांस संबंधी जोखिम |
प्राकृतिक, गंधहीन, श्वसन के लिए सुरक्षित |
स्थानीय रोजगार पर प्रभाव |
औद्योगिक व ब्रांड आधारित |
ग्रामीण उद्यम, पशुपालकों को अतिरिक्त आय |
उपयुक्तता |
शहरी/बहुमंज़िला/कॉमर्शियल बिल्डिंग |
सरकारी/ग्राम पंचायत भवन, गौशाला, प्राकृतिक खेती केंद्र |
निष्कर्ष: गोबर पेंट लगभग आधी लागत पर इमल्शन पेंट का विकल्प बन सकता है, विशेषकर सरकारी और ग्रामीण भवनों में।
पर्यावरणीय प्रभाव
• इमल्शन पेंट: इनमें कई प्रकार के रसायन, पेट्रोलियम उत्पाद, और वोलाटाइल ऑर्गैनिक कंपाउंड्स (VOCs) होते हैं, जो न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक हैं, बल्कि दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न कर सकते हैं।
• गोबर आधारित पेंट: यह पूरी तरह से जैविक और VOC-रहित होता है। इसकी गंध तक प्राकृतिक होती है और यह वायु शुद्धिकरण में भी सहायक होता है।
निष्कर्ष: गोबर पेंट पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से कहीं अधिक सुरक्षित और टिकाऊ है।
स्थायित्व और प्रदर्शन
• इमल्शन पेंट: इसकी परत चिकनी, चमकदार और लंबे समय तक टिकाऊ होती है। यह जलरोधक और धूल-प्रतिरोधी भी होता है, जिससे इसे ज्यादा रखरखाव की आवश्यकता नहीं पड़ती।
• गोबर पेंट: इसकी बनावट थोड़ी खुरदरी हो सकती है और यह लंबे समय तक पानी में टिक नहीं पाता। यह अभी शहरी और बहुमंज़िला इमारतों के लिए सीमित रूप से उपयोगी है। हालांकि, नमी और गर्मी से बचाव में यह अच्छा कार्य करता है।
निष्कर्ष: इमल्शन पेंट जहां आधुनिक इमारतों के लिए उपयुक्त है, वहीं गोबर पेंट ग्रामीण या सरकारी संस्थानों में कम लागत और प्रकृति अनुकूल विकल्प है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
• गोबर आधारित पेंट: यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन का बड़ा माध्यम बन सकता है। पशुपालकों को गोबर बेचने का नया स्रोत मिलता है, जिससे गोशालाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं। साथ ही, महिला स्वयं सहायता समूहों को भी प्रशिक्षण व रोजगार मिल सकता है।
• इमल्शन पेंट: यह बड़े उद्योगों और ब्रांड्स द्वारा नियंत्रित होता है, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार की गुंजाइश कम होती है।
उपयोगिता का विस्तार
• गोबर पेंट अभी तक मुख्यतः सरकारी भवनों, ग्राम पंचायत कार्यालयों, गौशालाओं और प्राकृतिक खेती केंद्रों तक सीमित है।
• इमल्शन पेंट का प्रयोग व्यापक स्तर पर घरों, कॉरपोरेट कार्यालयों, होटलों और बड़े प्रोजेक्ट्स में होता है।
गोबर आधारित पेंट एक पारिस्थितिक, किफायती और ग्रामीण विकासोन्मुख पहल है। हालांकि अभी इसे तकनीकी रूप से और मजबूत बनाने की जरूरत है, विशेषकर टिकाऊपन और रंगों की विविधता में। इमल्शन पेंट अपने चिकनाई, रंगों की रेंज और टिकाऊपन के कारण शहरी और निजी क्षेत्रों में बना रहेगा, लेकिन सरकार द्वारा गोबर पेंट को सरकारी भवनों में प्राथमिकता देना एक सकारात्मक कदम है।
यदि शोध, नवाचार और उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए, तो भविष्य में गोबर आधारित पेंट इमल्शन का टिकाऊ और भारतीय विकल्प बन सकता है—एक ऐसा विकल्प जो स्वदेशी, स्वस्थ, और सामाजिक रूप से समृद्ध हो।
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