फाइल गुम होने की खबरों के बाद जागा LDA प्रशासन, दी सफाई,बन रही डुप्लीकेट पत्रावलियां!

लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की करीब 21,000 फाइलों के गायब होने की सनसनीखेज़ घटना ने न सिर्फ प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आम जनता के भरोसे को भी गहरी चोट पहुंचाई है। दरअसल सरकार द्वारा प्राधिकरण की पुरानी फाइलों को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित करने के लिए एक निजी कंपनी “राइटर” को ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। 1,45,449 फाइलों की स्कैनिंग के लिए करार हुआ, लेकिन कंपनी के रिकॉर्ड में महज़ 1,25,000 फाइलें दर्ज हैं। इनमें से 1,22,000 फाइलें ही LDA को वापस मिलीं। मतलब साफ है — 20,499 फाइलें न स्कैन हुईं, न वापस आईं, और न ही कहीं उपलब्ध हैं।
लगातार मीडिया में इस विषय पर चर्चा बनी रही मगर अधिकारियों द्वारा इस मामले पर मौन साधे रहा गया लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा फिर विभाग को सफाई देनी पड़ी, LDA ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि प्रकरण कई वर्ष पुराना है। लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2016 में एन0आई0सी0 के माध्यम से मेसर्स राईटर इंफार्मेशन सर्विसेस को पत्रावलियों के डिजिटाइजेशन का कार्य सौंपा गया था। बाद में आवंटियों के काम के लिए फाइलें मांगे जाने पर संस्था द्वारा समय से फाइलें उपलब्ध नहीं करायी जा रही थीं।
कार्य में लगातार लापरवाही उजागर होने पर कार्यादेश निरस्त करते हुए संस्था का भुगतान रोक दिया गया था। उक्त प्रकरण में तत्कालीन तहसीलदार राजेश शुक्ला द्वारा संस्था के खिलाफ एफ0आई0आर0 भी दर्ज करायी गयी थी, जिसकी विवेचना पुलिस द्वारा की जा रही है। मेसर्स राईटर इंफार्मेशन सर्विसेस द्वारा तत्समय कई पत्रावलियां नहीं लौटायी गयी थीं, जिनमें से कई फाइलें बाद में रिकवर कर ली गयीं। जन सामान्य को किसी भी तरह की दिक्कत न हो, इसके लिए प्राधिकरण में उपलब्ध मूल रजिस्टर से मिलान कराकर डुप्लीकेट फाइलें बनायी जा रही हैं।
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