लखनऊ में हिंदी भाषा पर संगोष्ठी: शिया पीजी कॉलेज में 'जनभाषा और संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की प्रगति' पर हुई चर्चा

लखनऊ, 1 मई 2025 — शिया पीजी कॉलेज में आज उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान और कॉलेज के हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी का विषय था ‘जनभाषा एवं संपर्क भाषा के रूप में हिंदी की प्रगति’, जिसमें हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अर्चना सिंह ने अतिथियों का पुष्पमालाओं से स्वागत करते हुए हिंदी को भारतीय अस्मिता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि आज हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक पहचान का आधार बन चुकी है।
इस अवसर पर शिया महाविद्यालय के सम्पत्ति अधिकारी डॉ. एम.एम ऐजाज अतहर ने युवाओं से आह्वान किया कि वे हिंदी बोलने में गर्व महसूस करें और इसे अपने दैनिक जीवन में अधिक आत्मीयता से अपनाएं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर श्री हरि शंकर मिश्र ने कहा कि हिंदी अब केवल साहित्य की भाषा नहीं रही, बल्कि यह जनसंचार की एक प्रभावशाली संपर्क भाषा बन गई है। उन्होंने तकनीक, मीडिया और शिक्षा में हिंदी की बढ़ती भूमिका पर विशेष जोर दिया।
शिया पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एस.एस.आर बाकरी ने कहा कि संपर्क भाषा के रूप में हिंदी देश की विविधता में एकता का सेतु बन रही है। उन्होंने कहा कि आज जब देश में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं, तब हिंदी एक साझा संवाद की मजबूत कड़ी बनकर उभर रही है।
कार्यक्रम का समापन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एस.एस.एच आमिल ने किया। उन्होंने सभी वक्ताओं और सहभागियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस प्रकार की संगोष्ठियाँ भाषा की संवृद्धि और चेतना को जागृत करने में अहम भूमिका निभाती हैं।
इस अवसर पर डॉ. आलोक यादव, डॉ. रश्मिशील, प्रो. सिबतेन बेग, प्रो. एम.के शुक्ला, डॉ. नगीना बानो और मधुलिका चौधरी ने भी अपने विचार साझा किए। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान की प्रतिनिधि अंजू सिंह की उपस्थिति कार्यक्रम की गरिमा में वृद्धि करने वाली रही।
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