तालिबान से सीधी बातचीत: भारतीय रणनीती की एक नई शुरुआत
पहली बार भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से सीधी फोन पर बातचीत की।

भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों ने एक नया मोड़ ले लिया है। पहली बार भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से सीधी फोन पर बातचीत की। यह संपर्क केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विश्वास की बहाली की पहल
इस संवाद की शुरुआत ऐसे समय में हुई है जब भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव चरम पर है और अफगानिस्तान-पाकिस्तान के रिश्ते भी संकट से गुजर रहे हैं। मुत्ताकी ने जिस स्पष्टता से पहलगाम हमले को आतंकवादी कृत्य करार देते हुए उसकी निंदा की, वह भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है। डॉ. जयशंकर ने तालिबान द्वारा भारत और अफगानिस्तान के बीच गलतफहमियाँ फैलाने वाले झूठे प्रचार का खंडन करने की सराहना की।
यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया था कि भारत ने तालिबान को “फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन” के लिए हायर किया। ऐसे में मुत्ताकी द्वारा इसे झूठा और निराधार बताना दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
विकास और व्यापार की ओर बढ़ते कदम
दोनों नेताओं के बीच बातचीत में व्यापार, विकास और चाबहार बंदरगाह पर सहयोग को बढ़ावा देने की बात प्रमुखता से उठी। अफगानिस्तान की ओर से व्यापारियों और मरीजों को भारत आने के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने का अनुरोध किया गया, जिसे भारत ने सकारात्मक रूप से लिया।
इसके अतिरिक्त, भारत में बंदी अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। यह एक ऐसा मानवीय मुद्दा है, जो दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को और प्रगाढ़ कर सकता है।
चाबहार: भविष्य की नई राह
चाबहार बंदरगाह, जो भारत-ईरान-अफगानिस्तान के त्रिकोणीय सहयोग का केंद्र रहा है, अब फिर चर्चा में है। तालिबान ने इस बंदरगाह के ज़रिए भारत से व्यापार को गति देने की इच्छा जताई है। अफगान व्यापारियों के लिए यह एक वैकल्पिक रास्ता हो सकता है, विशेषकर ऐसे समय में जब भारत ने पाकिस्तान के साथ अटारी सीमा को बंद कर दिया है।
नई विदेश नीति की झलक
यह बातचीत यह भी दर्शाती है कि भारत, तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान से परहेज नहीं कर रहा, बल्कि स्थितियों को समझते हुए एक संतुलित और व्यावहारिक विदेश नीति अपना रहा है। मुत्ताकी द्वारा ‘संतुलित विदेश नीति’ की बात और भारत को ‘क्षेत्रीय महाशक्ति’ के रूप में मान्यता देना, तालिबान की सोच में आए बदलाव का संकेत हो सकता है।
What's Your Reaction?






