2027 की जंग का शंखनाद: कांग्रेस का 100 दिवसीय अभियान, गाँव-शहर तक संगठन को देगा नई ताक़त

उत्तर प्रदेश की राजनीतिक ज़मीन पर कांग्रेस पार्टी ने 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी का बिगुल फूंक दिया है। लखनऊ के गांधी भवन में आयोजित संगठन सृजन कार्यशाला ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब कांग्रेस सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि सत्ता में वापसी का संकल्प लेकर मैदान में उतर रही है।
कार्यशाला में कांग्रेस नेताओं ने अगले 100 दिनों में गाँव से शहर तक संगठन को नए सिरे से खड़ा करने का खाका तैयार किया। बूथ स्तर तक पार्टी की पैठ बनाने की रणनीति के साथ यह भी तय किया गया कि प्रत्येक जिले में “वार रूम” स्थापित किया जाएगा जो चुनावी रणनीतियों का संचालन करेगा। इस आयोजन की शुरुआत गांधी जी और बाबा साहेब को श्रद्धांजलि अर्पित कर की गई, जो कांग्रेस की वैचारिक जड़ों को पुनः स्थापित करने की पहल मानी जा रही है।
राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा, “2027 का चुनाव कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए निर्णायक होगा। हमारे पास भाजपा को सत्ता से बाहर करने की पूर्ण क्षमता है। अगले 100 दिनों में 5 स्तरीय संगठन निर्माण (जिला, ब्लॉक, मंडल, न्याय पंचायत और बूथ) पूरा करना हमारी प्राथमिकता है।” उन्होंने जन संघर्ष, जन जोड़ो और जन विकल्प को कांग्रेस के इस अभियान की आत्मा बताया।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए कि वे मिशन मोड में जुटें, क्योंकि जनता अब सिर्फ कांग्रेस से उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा, “2022 में प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में जो संगठन निर्माण की नींव पड़ी, उसका असर 2024 में दिखा। अब 2027 में जीत का वक्त है।”
कार्यशाला में आराधना मिश्रा ‘मोना’, पवन खेड़ा, शशिकांत सेंथिल, सुप्रिया श्रीनेत, डॉ. अनिल जयहिंद, अलका लांबा, राजेश लिलोठिया, इमरान प्रतापगढ़ी, वरुण चौधरी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया और संगठनात्मक दिशा को स्पष्ट किया।
शशिकांत सेंथिल ने वॉर रूम को बूथ स्तर पर कनेक्ट सेंटर में बदलने की बात कही तो सुप्रिया श्रीनेत ने कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया के जरिए भाजपा के झूठ का जवाब देने का आग्रह किया। वहीं अल्पसंख्यक, महिला, दलित और छात्र वर्गों के लिए फ्रंटल संगठनों को मज़बूती देने की रणनीति पर भी चर्चा हुई।
यह कार्यशाला सिर्फ एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह कांग्रेस के नए आत्मविश्वास, रणनीतिक सोच और जनसंपर्क के सशक्त अभियान की शुरुआत थी। राहुल गांधी के जातीय जनगणना अभियान और सामाजिक न्याय आधारित राजनीति को समर्थन देकर कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब जमीन से जुड़ी राजनीति की ओर लौट रही है।
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