एसजीपीजीआई में हुआ विश्व उच्च रक्तचाप दिवस जागरूकता कार्यक्रम

May 17, 2025 - 18:56
May 17, 2025 - 19:04
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एसजीपीजीआई में हुआ विश्व उच्च रक्तचाप दिवस जागरूकता कार्यक्रम

“उच्च रक्तचाप आपके दरवाजे पर दस्तक दे सकता है, लेकिन यह आपकी पसंद है कि आप इसे अंदर आने दें या नहीं।” — इस सशक्त संदेश के साथ 17 मई को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई), लखनऊ में विश्व उच्च रक्तचापदिवस के अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अस्पताल प्रशासन, कार्डियोलॉजी और सामान्य अस्पताल विभागों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह कार्यक्रम स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक पहल रहा।

कार्यक्रम की शुरुआत संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. देवेंद्र गुप्ता और कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य कपूर के स्वागत भाषण से हुई। इस अवसर पर डॉ. पियाली भट्टाचार्य, डॉ. अंकित साहू और डॉ. सौरभ सिंह सहित कई वरिष्ठ विशेषज्ञों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम की मुख्य आकर्षण रहीं कार्डियोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. अर्पिता कठेरिया, जिन्होंने “उच्च रक्तचाप को समझना: साइलेंट किलर” विषय पर प्रभावशाली व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे उच्च रक्तचाप शरीर में बिना कोई लक्षण दिए हृदय, मस्तिष्क और किडनी को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।

उपस्थित दर्शकों ने जागरूकता सत्र में सक्रिय भागीदारी दिखाई, प्रश्न पूछे और विशेषज्ञों से सीधा संवाद किया। कार्यक्रम का समापन एक डिजिटल प्रश्नोत्तरी के साथ हुआ, जिसे डॉ. अक्षिता, वैष्णवी, कृतिका और अनमोल ने आयोजित किया। क्यूआर कोड स्कैन कर दर्शकों ने मोबाइल पर प्रश्नोत्तरी में भाग लिया, जिससे कार्यक्रम में तकनीकी नवाचार और संवाद का समावेश हुआ।

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक राष्ट्रीय चेतावनी थी। भारत मेंतीन में से एक वयस्क उच्च रक्तचाप से ग्रसित है, लेकिन उनमें से आधे से अधिक को इसका पता ही नहीं होता। केवल 20% लोगों काही रक्तचाप नियंत्रण में है, जो इस गंभीर समस्या की भयावहता को दर्शाता है।

डॉ. प्रेरणा कपूर ने इस अवसर पर कहा कि उच्च रक्तचाप को नज़रअंदाज़ करना आत्मघाती हो सकता है। यह हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी फेलियर जैसी जटिलताओं का प्रमुख कारण बन सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि नियमित रक्तचाप जांच, संतुलित आहार, तनाव नियंत्रण और सक्रिय जीवनशैली ही इस बीमारी से बचाव के सबसे कारगर उपाय हैं।

आज की पीढ़ी के लिए यह चेतावनी और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बदलती जीवनशैली, अत्यधिक तनाव और व्यायाम की कमी के चलते अब यह बीमारी युवाओं में भी तेज़ी से फैल रही है।

इस वर्ष की थीम “सही तरीके से रक्तचाप मापें और समय पर सलाह लें” प्रत्येक नागरिक से आग्रह करती है कि वे अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत हों और इस ‘साइलेंट किलर’ को जीवन में प्रवेश न करने दें।

याद रखें:

• सामान्य रक्तचाप: 120/80 mmHg से कम

• उच्च रक्तचाप: 140/90 mmHg या अधिक

• समय पर पहचान से 90% जटिलताओं को रोका जा सकता है।

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