अगर आज हों यूपी में चुनाव, तो किसके सिर सजेगा सत्ता का सेहरा?

May 19, 2025 - 13:10
May 19, 2025 - 14:25
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अगर आज हों यूपी में चुनाव, तो किसके सिर सजेगा सत्ता का सेहरा?

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य जहाँ राजनीति कभी नहीं थमती उत्तर प्रदेश राज्य से राजनीति सिर्फ़ प्रदेश तक ही नहीं लेकिन केंद्र की भी सत्ता के लिए सबसे अहम मानी जाती है और इस साल हुए लोक सभा के चुनाव के परिणाम के बाद से ही कई तरह से कयास लगाए जाने शुरू हो चुके है एक तरफ़ जहाँ समाजवादी पार्टी अपनी वापसी पर पूरा ज़ोर लगा रही है तो वही योगी सरकार को अपनी नीतियों से भाजपा की प्रचंड जीत का पूरा भरोसा है ऐसे में अगर आज राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाएं, तो मुकाबला बेहद दिलचस्प हो सकता है। भाजपा सरकार की “ज़ीरो टॉलरेंस नीति”, निवेश लहर, राम मंदिर जैसे भावनात्मक मुद्दों के साथ-साथ युवाओं की बेरोज़गारी और किसानों की समस्याएं इस चुनाव को नई दिशा दे सकती हैं।

ज़मीन पर बदलते सियासी समीकरण

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भाजपा सरकार ने राज्य में अपराध के खिलाफ ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है। माफिया राज पर सख्ती, बुलडोजर कार्रवाई और धार्मिक स्थलों के विकास को जनता में सराहा गया है। अयोध्या में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जैसे कार्यों ने भाजपा की हिंदुत्व छवि को और मज़बूती दी है।

आर्थिक विकास ने बदली प्रदेश की तस्वीर

पिछले दो वर्षों में उत्तर प्रदेश देश के अग्रणी निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में लगभग 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले, जिनमें से बड़ी संख्या में परियोजनाओं पर कार्य शुरू हो चुका है। 2022-2024 के बीच राज्य की GDP में लगभग 9.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो दर्शाता है कि प्रदेश अब केवल एक ‘राजनीतिक प्रयोगशाला’ नहीं, बल्कि ‘आर्थिक पावरहाउस’ बनने की ओर अग्रसर है।

जनता की राय – सर्वे कहता है कुछ खास

एक प्रतिष्ठित एजेंसी द्वारा कराए गए एक ताज़ा सर्वे में राज्य के 20 ज़िलों में लगभग 20,000 लोगों से बातचीत की गई। सर्वे के मुख्य परिणाम इस प्रकार हैं:

सवाल

जवाब (प्रतिशत में)

क्या आप योगी सरकार से संतुष्ट हैं?

हाँ – 61%

अगर आज चुनाव हों तो किसे वोट देंगे?

भाजपा – 52%  सपा – 32%  कांग्रेस – 7%  बसपा – 5%  अन्य – 4%

सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?

बेरोज़गारी – 34%  महंगाई – 28%  कानून-व्यवस्था – 18%  सड़क और विकास – 13%  शिक्षा और स्वास्थ्य – 7%

विपक्ष की रणनीति: चुनौती तो है, पर समीकरण ढीले

समाजवादी पार्टी ने पिछली बार कड़ी टक्कर दी थी और इस बार जातीय गठजोड़ पर फिर से फोकस कर रही है। अखिलेश यादव लगातार युवाओं और किसानों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सपा को कांग्रेस या अन्य दलों के साथ विश्वसनीय गठबंधन की जरूरत है। वहीं, कांग्रेस प्रियंका गांधी के नेतृत्व में सीमित प्रभाव छोड़ रही है, जबकि मायावती की बसपा धीरे-धीरे हाशिये पर जा रही है।

राम मंदिर और सांस्कृतिक राजनीति का असर

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण भाजपा के लिए न केवल धार्मिक जीत है, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक हथियार भी। गांवों से लेकर शहरों तक इसका व्यापक असर देखा जा रहा है। हिंदू वोट बैंक के एकीकरण में यह एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

किसकी हवा चलेगी?

अगर आज चुनाव होते हैं तो भाजपा स्पष्ट बढ़त में दिखती है, लेकिन सपा उसे टक्कर देने की स्थिति में है। जनता की नजर में कानून-व्यवस्था और विकास अभी भी भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है, जबकि बेरोज़गारी और महंगाई विपक्ष के लिए अवसर।

परिस्थितियाँ बता रही हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति अब सिर्फ़ “जाति और धर्म” के इर्द-गिर्द नहीं घूम रही, बल्कि अब “विकास और विश्वास” भी उतने ही बड़े मुद्दे बन चुके हैं। जनता अब ठोस नतीजे चाहती है, सिर्फ़ नारों से बात नहीं बनती।

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