यूपी बोर्ड अब इंटर में नॉन प्रैक्टिकल विषयों में भी करेगा आंतरिक मूल्यांकन, 2026 से लागू होगी नई व्यवस्था

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) राज्य के शिक्षा परिदृश्य में ऐतिहासिक बदलाव की तैयारी में है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुपालन में बोर्ड ने गैर-प्रायोगिक विषयों में भी आंतरिक मूल्यांकन लागू करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेज दिया है। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद यह नई व्यवस्था शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू कर दी जाएगी।
अब हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और अर्थशास्त्र जैसे विषयों में भी 20 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन
वर्तमान में इंटरमीडिएट स्तर पर भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और गृह विज्ञान जैसे विषयों में 30 अंकों के प्रायोगिक परीक्षाएं होती हैं और 70 अंकों की लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है। वहीं हिन्दी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और अर्थशास्त्र जैसे गैर-प्रायोगिक विषयों में पूरी 100 अंकों की लिखित परीक्षा ली जाती है।
लेकिन नए प्रस्ताव के अनुसार, इन गैर-प्रायोगिक विषयों में भी 20 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन किया जाएगा। इसके साथ-साथ प्रायोगिक विषयों में भी प्रैक्टिकल की वैल्यू घटाकर 30 से 20 अंक करने का प्रस्ताव रखा गया है। यानी, अब सभी विषयों में 80 अंकों की लिखित परीक्षा होगी, और शेष 20 अंक प्रैक्टिकल या आंतरिक मूल्यांकन के होंगे।
हाईस्कूल में भी घटेगा आंतरिक मूल्यांकन का भार
बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने पुष्टि की है कि हाईस्कूल (कक्षा 9-10) में भी आंतरिक मूल्यांकन को 30 से घटाकर 20 अंक करने का प्रस्ताव शामिल है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2011-12 में हाईस्कूल स्तर पर आंतरिक मूल्यांकन की शुरुआत की गई थी, जिसमें 30 अंकों की परियोजना और रचनात्मक कार्य को शामिल किया गया था। अब 14 वर्षों बाद इसे और व्यावहारिक रूप देने के लिए अंकों की संरचना में बदलाव प्रस्तावित है।
एक करोड़ से अधिक छात्रों पर पड़ेगा असर
इस परिवर्तन का प्रभाव प्रदेश के 27,000 से अधिक यूपी बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 9 से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्रों पर पड़ेगा। हर साल लगभग 50 लाख छात्र हाईस्कूल और इंटर की बोर्ड परीक्षा में बैठते हैं, जबकि कक्षा 9 और 11 के छात्रों की संख्या भी उतनी ही है।
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