जब सिंदूर बना बारूद: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से उभरी निर्णायक भारत की तस्वीर

बीकानेर: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीकानेर के देशनोक से एक ऐतिहासिक संदेश दिया—एक ऐसा संदेश जो न सिर्फ राजस्थान की रेत में गूंजा, बल्कि दुनिया भर में भारत की नई सैन्य और राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बन गया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए भारत ने यह जता दिया कि अब हर एक हमला, हर एक आँसू और हर एक खून का कतरा हिसाब माँगेगा—और देगा भी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में ‘सिंदूर’ - भारतीय नारी के सम्मान और संस्कृति का प्रतीक - को उस ज्वलंत रूप में प्रस्तुत किया जो ‘बारूद’ बनकर आतंक के अड्डों को राख कर देता है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे आतंकियों ने हमारी बहनों से धर्म पूछकर गोली चलाई और उनके सिंदूर को मिटाने का दुस्साहस किया।
लेकिन भारत अब वो देश नहीं जो चुपचाप आंसू बहाता रहे। आज का भारत, शोक में नहीं, शक्ति में विश्वास रखता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत की सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ने मिलकर 22 मिनट में 9 आतंकवादी ठिकानों को खत्म कर दिया। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, यह था भारत की आत्मा से निकला जवाब—एक संकल्प जो हर नागरिक ने लिया था और जिसे सरकार ने साकार किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “दुनिया ने देख लिया जब सिंदूर बारूद बन जाता है, तो नतीजा क्या होता है।” यह सिर्फ शब्द नहीं थे, यह उस उबलते आत्मबल की पराकाष्ठा थी, जो हर भारतीय के हृदय में बसी है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ बदला नहीं, यह न्याय था। यह उस भारत की पहचान थी जो अब सिर्फ सहता नहीं, माकूल जवाब भी देता है। यह अभियान भारत की रणनीतिक निपुणता, सैनिकों के अदम्य साहस और एकजुट जनसमर्थन का अद्वितीय उदाहरण बनकर उभरा।
प्रधानमंत्री की यह घोषणा कि “जो देश की बेटियों का सिंदूर मिटाने चले थे, आज खुद मिट्टी में मिल गए हैं,” एक ऐसी चेतावनी है जो दुश्मनों के लिए पर्याप्त से अधिक है।
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