जब बेटियाँ पूछने लगीं सवाल, तब योगी सरकार ने दिया ‘मिशन समाधान’

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बेटियों की शिक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाया गया है, जो केवल नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीन पर हकीकत बन चुका है। ‘मिशन समाधान’—यूपी सरकार की यह नई पहल उस सोच का विस्तार है, जिसमें बेटी अब सिर्फ श्रोता नहीं, सक्रिय सहभागी है।
21 मई को आयोजित मिशन समाधान सीरीज-01 कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया कि बेटियाँ अब जागरूक हैं, संवाद के लिए तैयार हैं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रही हैं। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की 80 हजार से अधिक छात्राएँ और 12 हजार से ज्यादा स्टाफ सदस्य जब एक साथ ज़ूम पर जुड़े, तो यह महज एक डिजिटल आयोजन नहीं था, बल्कि बेटियों की चुप्पी को आवाज़ देने वाला आंदोलन बन गया।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बच्चियों को जिस आत्मीयता से संबोधित किया, वह नीतिगत संवाद को एक मानवीय स्पर्श देता है। उनका यह कहना कि “हर समस्या का समाधान है, हिचकिचाइए मत, सही-गलत में फर्क करना सीखिए”—यह एक साधारण संदेश नहीं, बल्कि मानसिक स्वतंत्रता की ओर एक बड़ा कदम है।
कार्यक्रम में साइबर सुरक्षा, गुड टच-बैड टच, पाक्सो एक्ट और हेल्पलाइन जैसे मुद्दों पर जो जानकारी दी गई, वह बालिकाओं को आत्मरक्षा की दिशा में व्यावहारिक समझ देने के लिए अत्यंत आवश्यक है। विशेषज्ञों ने न केवल समस्याओं की पहचान कराई, बल्कि समाधान की राह भी दिखाई।
जब बेटियाँ खुलकर कहती हैं, “हम तैयार हैं!”, तो यह सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दस्तक होती है। यह घोषणा बताती है कि अब बेटियाँ पीछे नहीं रहेंगी, वे शिक्षित भी होंगी, सजग भी और सुरक्षित भी।
‘मिशन समाधान’ दरअसल एक नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है, जो बेटियों को केवल किताबों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उन्हें एक समर्थ नागरिक के रूप में तैयार करती है। यह पहल ‘मिशन शक्ति’, ‘महिला हेल्पलाइन 1090’, ‘साइबर सेफ्टी अवेयरनेस’ जैसी योजनाओं को भी मजबूती देती है और एक समन्वित मंच प्रदान करती है।
What's Your Reaction?






