बीबीएयू में यौन उत्पीड़न के खिलाफ चीखता एक रिसर्च स्कॉलर लगा रहा न्याय की गुहार

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (BBAU), लखनऊ से एक रिसर्च स्कॉलर ने जो खुलासा किया है, उसने देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था और कैंपस की सुरक्षा को कठघरे में खड़ा कर दिया है। एनवायरन्मेंटल माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शोधरत छात्र ने अपने विभागाध्यक्ष और डीन प्रो. राजेश कुमार पर गंभीर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए कहा है कि वे पिछले एक साल से उससे लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से दुर्व्यवहार कर रहे हैं।
शोध छात्र का कहना है कि जब भी वह शैक्षणिक काम के सिलसिले में प्रोफेसर के कक्ष में जाता है, तो अकेले का फायदा उठाकर उसे अश्लील वीडियो दिखाए जाते हैं। इतना ही नहीं, छात्र ने यह चौंकाने वाला आरोप लगाया है कि प्रो. राजेश कुमार ने उसके सामने यह शर्त रखी कि यदि वह “ओरल सेक्स” के लिए तैयार हो जाए तो वह उसकी NFSC फेलोशिप पर हस्ताक्षर कर देंगे।
शिकायतकर्ता छात्र ने 2 जून को कुलपति प्रो. आर. के. मित्तल को ईमेल कर इस पूरे प्रकरण की जानकारी दी और मांग की कि तत्काल आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में मामला दर्ज कर पुलिस में एफआईआर कराई जाए। छात्र ने चेतावनी दी कि यदि आरोपी प्रोफेसर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो वह आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने को मजबूर होगा।
छात्र ने यह भी आरोप लगाया कि जब उसने यह मामला रजिस्ट्रार अश्वनी कुमार सिंह और डीन एकेडमिक प्रो. विक्टर बाबू के सामने उठाया, तब भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उल्टा, उसे ही चुप रहने की सलाह दी गई।
शिक्षा जगत को झकझोरने वाले इस प्रकरण पर प्रो. राजेश कुमार ने सफाई दी है कि वह छात्र का गाइड नहीं हैं और यह सब एक गहरी साजिश है। उनका दावा है कि उन्होंने छात्र की पहले भी मदद की है, लेकिन जब छात्र से प्रोग्रेस रिपोर्ट नहीं मिली, तो 30 मई को उसे चेतावनी पत्र जारी किया गया। इसके बाद ही यह शिकायत की गई।
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