अब उर्दू में भी रामायण! विनय बाबू ने 14 साल में लिख डाली "विनय रामायण"

14 साल में लिखी ‘विनय रामायण’,बाराबंकी के विनय बाबू ने उर्दू में रचा भक्ति और शायरी का अनूठा संगम

May 30, 2025 - 14:07
May 30, 2025 - 15:05
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बाराबंकी के छोटे से गांव असगरनगर मजीठा में रहने वाले विनय बाबू ने एक ऐसा कार्य कर दिखाया है, जो जुनून, लगन और भाषा के प्रति प्रेम की मिसाल बन गया है, सिर्फ जूनियर हाईस्कूल तक पढ़ाई करने वाले विनय बाबू को उर्दू भाषा और शेरो-शायरी का शौक बचपन से था। स्कूल आते-जाते उन्होंने कुछ बुजुर्गों से उर्दू के लफ्ज़ सुने, जो दिल में उतरते चले गए, यही लगाव धीरे-धीरे जुनून में बदल गया और अब इस जुनून ने भक्ति और शायरी का अनूठा संगम विनय रामायण के माध्यम से प्रस्तुत किया है।

उर्दू में रामायण की उपलब्धता न पाकर लिया फैसला

विनय बाबू बताते है कि जब उन्होंने जाना कि उर्दू में संपूर्ण रामायण उपलब्ध नहीं है, तो उन्होंने इस अभाव को दूर करने की ठान ली,14 वर्षों की अथक मेहनत और साधना के बाद उन्होंने 'विनय रामायण' नाम से उर्दू में रामायण का भावानुवाद तैयार किया, यह ग्रंथ 500 पन्नों और 24 खंडों में विभाजित है, जिसमें लगभग 7 हजार शेर भी शामिल हैं।

रामायण का अनुवाद नहीं बल्कि प्रसंगों का है भावानुवाद

विनय बताते हैं कि यह किसी संस्कृत अनुवाद का शाब्दिक संस्करण नहीं, बल्कि रामायण के प्रसंगों को उर्दू शायरी की जुबान में ढाला गया भावानुवाद है।

राज्यपाल के हाथों हो रामायण का विमोचन:

उर्दू में रामायण लिखने के लिए विनय को अयोध्या, प्रयागराज यहां तक कि हिमालय तक की यात्राएं करनी पड़ीं। वे बताते हैं कि कई बार मुश्किलें आईं आर्थिक हालात भी आड़े आए लेकिन जुनून के आगे सब कुछ फीका पड़ गया। अब उनकी इच्छा है कि 'विनय रामायण' का विमोचन राज्यपाल के हाथों हो।

रामायण के बाद महाभारत के भावानुवाद की तैयारी:

शायर अजीज बाराबंकवी के शागिर्द रह चुके विनय अब महाभारत के भावानुवाद की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। उनका मानना है कि हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सभी भाषाओं में सहज और सुंदर रूप में प्रस्तुत करना समय की जरूरत है। उनकी यह कोशिश धर्म और साहित्य के बीच एक नई पुल का निर्माण करती है जहां भक्ति शायरी बनकर दिलों में उतरती है।

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