उत्तर प्रदेश में मिल रहा हर आहत को न्याय, हो रहा हर समस्या का समाधान
जनता की पीड़ा से जुड़कर संवेदनशीलता से करें समाधान, अफसरों को मुख्यमंत्री का स्पष्ट संदेश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार सुबह गोरखनाथ मंदिर परिसर में आयोजित जनता दर्शन में 250 से अधिक लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं। जन सरोकारों के इस सशक्त मंच से मुख्यमंत्री ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार आमजन की पीड़ा के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है और प्रत्येक समस्या का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।
गोरखनाथ मंदिर परिसर स्थित महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन के सामने आयोजित इस जनसुनवाई में सीएम योगी खुद पीड़ितों के पास जाकर उनकी बातों को गंभीरता से सुना। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जन शिकायतों का निस्तारण गुणवत्तापूर्ण, पारदर्शी और संवेदनशीलता पूर्ण हो। मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार जनता की है और उसका हर अधिकारी जनसेवक। किसी के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों की जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है या जिन्हें दबंगों ने बेदखल कर रखा है, उनकी शिकायतों पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए। ऐसे अपराधियों को किसी भी सूरत में बख्शा न जाए। कानून का भय हर अराजक तत्व के मन में बना रहना चाहिए।
जनता दर्शन में बड़ी संख्या में लोग गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए आर्थिक सहायता की मांग लेकर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने ऐसे सभी मामलों को प्राथमिकता पर लेते हुए संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि इलाज का इस्टीमेट शीघ्र बनवाकर शासन को भेजा जाए ताकि हर ज़रूरतमंद को समय पर मदद मिल सके।
बच्चों से आत्मीयता, महिलाओं को भरोसा
जनता दर्शन में पहुंचे कुछ छोटे बच्चों को मुख्यमंत्री ने अपने स्नेह से सराबोर किया। बच्चों को चॉकलेट देकर उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद दिया और उनके अभिभावकों को भरोसा दिलाया कि योगी सरकार हर नागरिक की सुरक्षा, सम्मान और जरूरतों के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएम योगी का यह जनता दर्शन उनके जनसरोकारों की जीवंत मिसाल बन गया। आम लोगों से सीधे संवाद, त्वरित निर्देश और भावनात्मक जुड़ाव ने यह सिद्ध किया कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र सिर्फ सिद्धांत नहीं, जनता के दरवाज़े पर पहुंचने वाली जिम्मेदारी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह जनता दर्शन साबित करता है कि जब नेतृत्व संवेदनशील हो, तो समस्याएं सिर्फ सुनी नहीं जातीं, उनका समाधान भी होता है।
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