बरसाती मेंढक बनाम विरासत की लड़ाई: चंद्रशेखर के बयान पर मायावती का तीखा पलटवार

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में उत्तराधिकारी को लेकर उठे विवाद ने अब सार्वजनिक रूप से नया मोड़ ले लिया है। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद के एक बयान से बौखलाईं बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को X (पूर्व ट्विटर) पर बिना नाम लिए चंद्रशेखर पर तीखा हमला बोला और उन्हें “बरसाती मेंढक” तक कह डाला।
मायावती ने अपने पोस्ट में लिखा: “आकाश आनंद को पार्टी में चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाए जाने के बाद से बहुत से लोगों में बेचैनी है। बरसाती मेंढकों की तरह के संगठन व दलों के नेताओं से लोग सावधान रहें।”
चंद्रशेखर ने किया था मायावती पर अप्रत्यक्ष हमला
रविवार को लखनऊ में हुए एक प्रबुद्ध जन सम्मेलन में चंद्रशेखर ने कहा था: “आकाश आनंद को जनता ने नकार दिया है। मजबूरीवश उन्हें पार्टी से निकाला और फिर वापस लिया जा रहा है। मायावती के पास अब कोई विकल्प नहीं बचा। मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन अब अंबेडकर-कांशीराम के मिशन को हमारी पार्टी आगे बढ़ाएगी।”
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मायावती का तीन ट्वीट वाला जवाब—तीखा और सधा हुआ
मायावती ने सोमवार सुबह एक साथ तीन ट्वीट कर अपनी पार्टी और भतीजे आकाश आनंद के पक्ष में सफाई दी:
1. बसपा बहुजन हित की एकमात्र अंबेडकरवादी पार्टी है।
पार्टी ने पहले भी गलतियों पर कार्रवाई की है और पश्चाताप करने पर वापसी की परंपरा रही है।
2. आकाश आनंद से उम्मीद है कि वह अब जिम्मेदारी के साथ पार्टी हित में कार्य करेंगे।
पार्टी को स्वार्थी और अवसरवादी लोगों की कोई जरूरत नहीं।
3. दूसरी पार्टियों के इशारे पर बहुजन एकता को तोड़ने वालों को “बरसाती मेंढक” करार।
चाहे वे सांसद, विधायक या मंत्री बन जाएं, समाज का भला नहीं कर सकते।
आकाश आनंद की उथल-पुथल भरी राजनीतिक यात्रा
मायावती के सबसे छोटे भाई के बेटे आकाश आनंद को पिछले 15 महीनों में दो बार उत्तराधिकारी बनाया गया और दोनों ही बार पद से हटाया भी गया।
• पहली बार: 10 दिसंबर 2023 को उन्हें उत्तराधिकारी घोषित किया गया।
• हटाया गया: 23 जून 2024 को।
• फिर से जिम्मेदारी: जुलाई 2024 में नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया।
• फिर बाहर: 2 मार्च 2025 को सभी जिम्मेदारियों से हटा दिया गया।
• 7 मई 2025: बयानबाजी को लेकर दोबारा सभी पद छीने गए।
मायावती ने यह भी कहा कि आकाश अभी “अपरिपक्व (immature)” हैं।
कौन हैं आकाश आनंद?
• पहली बार 2017 में मायावती के साथ सहारनपुर की सभा में दिखे।
• 2019 में सपा-बसपा गठबंधन टूटने के बाद नेशनल कोऑर्डिनेटर बने।
• 2022 हिमाचल चुनाव में स्टार प्रचारक बनाए गए।
• लंदन से MBA की पढ़ाई की।
• शादी बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई।
बसपा का गिरता ग्राफ:
• 2007: 206 विधानसभा सीटें।
• 2022: सिर्फ 1 सीट।
• 2022 विधानसभा वोट शेयर: 12.9%
• 2019 लोकसभा: 10 सीटें।
• 2024 लोकसभा: शून्य सीट, वोट प्रतिशत घटकर 9.35% रह गया।
बसपा के भीतर की उठापटक अब सार्वजनिक मंचों पर भी दिखने लगी है। मायावती की आक्रामक पोस्ट और चंद्रशेखर के तंज ने बहुजन राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। अब देखना होगा कि आकाश आनंद को लेकर पार्टी का अगला कदम क्या होगा और क्या बसपा अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल कर पाएगी?
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