शांग्री-ला संवाद में भारत-पाक जनरलों की तीखी टकराहट: CDS चौहान बोले- आतंकवाद पर हमारी ‘रेड लाइन’ तय

सिंगापुर में आयोजित शांग्री-ला डायलॉग 2025 के मंच पर भारत और पाकिस्तान के सैन्य शीर्ष अधिकारियों के बीच कड़ी बयानबाज़ी देखने को मिली। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और पाकिस्तान के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा ने वैश्विक रक्षा मंच पर एक-दूसरे को तीखी चेतावनी दी।
सीडीएस चौहान ने जहां आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति और ‘रेड लाइन’ का ज़िक्र किया, वहीं जनरल मिर्ज़ा ने एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए “स्थायी समाधान” की वकालत की।
CDS अनिल चौहान का सख्त संदेश: ‘आतंक के खिलाफ अब सहनशीलता नहीं’
जनरल चौहान ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा, “भारत ने अब आतंकवाद के खिलाफ अपनी सहनशीलता की सीमा तय कर दी है। यह एक राजनीतिक और सैन्य दोनों संकेत है, जिससे पाकिस्तान को सबक लेना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत दो दशकों से ज्यादा समय से “प्रॉक्सी वॉर” यानी परोक्ष युद्ध का सामना कर रहा है, जिसमें कई निर्दोष जान गंवा चुके हैं। अब भारत इसे खत्म करना चाहता है।
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पाकिस्तानी जनरल का जवाब: ‘कश्मीर मुद्दा हल किए बिना स्थायी शांति असंभव’
जनरल साहिर शमशाद मिर्ज़ा ने मंच से कहा कि “अब समय आ गया है कि सिर्फ संघर्ष प्रबंधन नहीं, बल्कि उसका समाधान खोजा जाए। उन्होंने भारत पर परोक्ष रूप से आरोप लगाते हुए कहा कि कश्मीर के समाधान के बिना भारत-पाक संबंधों में स्थायित्व नहीं आ सकता। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रस्तावों के तहत समाधान की मांग की।
मिर्ज़ा ने चेतावनी दी कि यदि संघर्ष समाधान की दिशा में प्रयास नहीं हुए, तो “विनाशकारी युद्ध” की आशंका बढ़ सकती है। “अब पारंपरिक युद्ध की सीमा भी काफी कम हो गई है और दोनों देशों के लिए जोखिम बढ़ गया है।”
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी, के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इसके तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया। यह सैन्य कार्रवाई 10 मई तक चली, जिसके बाद दोनों देशों में अस्थायी सैन्य ठहराव की सहमति बनी।
भारत और पाकिस्तान के सैन्य जनरलों के बीच यह सार्वजनिक टकराव बताता है कि दक्षिण एशिया में तनाव अभी भी चरम पर है। जहां भारत आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई की नीति पर है, वहीं पाकिस्तान कश्मीर को केंद्रीय मुद्दा बना रहा है।
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