इस्तीफे से भी समाज को दिशा दिखा गईं : डॉ. प्रतिभा गोयल
इस्तीफा जो सिर्फ़ पद से नहीं, सोच से भी बड़ा था

अयोध्या स्थित डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. डॉ. प्रतिभा गोयल ने अपने पद से इस्तीफा देकर न सिर्फ प्रदेश में, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई हैं। राज्यपाल और विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। उनके स्थान पर फिलहाल डॉ. विजेंद्र सिंह को कार्यवाहक कुलपति नियुक्त किया गया है।
हालांकि, उनका इस्तीफा न तो किसी विवाद के कारण हुआ, न ही किसी राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक मतभेद से। डॉ. प्रतिभा गोयल ने यह पद अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा के लिए त्यागा—एक ऐसा कदम जो आज के स्वार्थपूर्ण और भागदौड़ भरे जीवन में दुर्लभ और प्रेरणादायक उदाहरण है।
आज जब कई युवा बेहतर करियर और जीवनशैली के पीछे भागते हुए माता-पिता की जिम्मेदारी से कतराते हैं और उन्हें वृद्धाश्रम की ओर धकेलते हैं—ऐसे समय में डॉ. प्रतिभा गोयल का यह कदम एक सशक्त सामाजिक संदेश बनकर सामने आया है। यह कदम न सिर्फ पारिवारिक मूल्यों को नई परिभाषा देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सामाजिक कर्तव्य किसी पद से बड़ा होता है।
कौन हैं डॉ. प्रतिभा गोयल?
डॉ. प्रतिभा गोयल उच्च शिक्षा जगत में एक जाना-पहचाना नाम हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला से मनोविज्ञान में स्नातक और अंग्रेज़ी ऑनर्स के बाद गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी से एमबीए किया और पीएच.डी. पंजाब यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। प्रबंधन के क्षेत्र में उनका शोध कार्य अग्रणी माना जाता है।
अपने करियर की शुरुआत उन्होंने सरकारी उपक्रम पंजाब स्पिनिंग एंड वीविंग मिल्स में डिप्टी मैनेजर के रूप में की थी। लेकिन शिक्षा और युवा पीढ़ी के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में ला खड़ा किया। उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला और फिर पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। यहाँ वे 2016 से 2020 तक स्कूल ऑफ बिजनेस स्टडीज की निदेशक भी रहीं।
वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के तीन बड़े शोध प्रोजेक्ट की प्रमुख रही हैं, जिनमें चाइल्ड लेबर, बीपीओ कर्मचारी और संगठित रिटेल सेक्टर पर काम शामिल है। उन्होंने 80 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और 12 पुस्तकें लिखी हैं। उनकी पुस्तक “Stress Management” को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है।
इसके अलावा वे MHRD के Leadership for Academicians Program का हिस्सा भी रहीं, जो TISS मुंबई और University of Pennsylvania, USA में आयोजित हुआ।
डॉ. प्रतिभा गोयल का इस्तीफा यह साबित करता है कि जब उच्च पदों पर आसीन व्यक्ति नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हैं, तो समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है। यह इस्तीफा सिर्फ एक पद से हटने का नहीं, बल्कि सोच और जिम्मेदारी को प्राथमिकता देने का उदाहरण है।
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