अब्बास अंसारी की विधायकी खत्म: हेट स्पीच पर सजा के बाद मऊ सीट हुई खाली, रविवार को ही निकला आदेश

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त कर दी गई है। यूपी विधानसभा सचिवालय ने रविवार को मऊ सीट को रिक्त घोषित कर दिया। यह कार्रवाई हेट स्पीच मामले में अब्बास को सजा मिलने के बाद 24 घंटे के भीतर की गई, जो तेजी से उठाए गए राजनीतिक कदम को दर्शाता है।
कोर्ट ने सुनाई सजा, सरकार ने 24 घंटे में खत्म की सदस्यता
शनिवार को मऊ की एमपी/एमएलए कोर्ट ने अब्बास अंसारी को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई। इसके बावजूद, रविवार को छुट्टी के दिन विधानसभा सचिवालय खोलकर प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने आदेश जारी करते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को उपचुनाव कराने का प्रस्ताव भी भेज दिया।
क्यों उठाया गया फुर्ती से कदम?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि अब्बास सोमवार को हाईकोर्ट में अपील कर सजा पर स्टे ले लेते, तो सीट को रिक्त घोषित नहीं किया जा सकता था। इसीलिए सरकार ने सप्ताहांत में ही निर्णय ले लिया ताकि कानूनी रास्ते से राहत मिलने की संभावना खत्म हो जाए।
क्या था हेट स्पीच मामला?
यह मामला 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार का है, जहां एक चुनावी सभा में अब्बास ने कहा था कि वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से कहकर आए हैं कि सरकार बनने के बाद छह महीने तक किसी अफसर का ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं होगा। पहले “हिसाब-किताब” लिया जाएगा। अदालत ने इसे प्रशासनिक व्यवस्था और मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश माना और सख्त टिप्पणी की।
जज डॉ. केपी सिंह ने अपने फैसले में कहा कि भड़काऊ भाषणों का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है, खासकर तब जब उनका मकसद धर्म के आधार पर मतदाताओं को प्रभावित करना हो।
मऊ में फिर उपचुनाव की तैयारी
मऊ अब यूपी का इकलौता जिला बन गया है जहां पांच वर्षों में दो बार विधानसभा उपचुनाव होंगे। इससे पहले घोसी सीट पर उपचुनाव हुआ था जिसमें बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। अब सरकार चाहती है कि बिहार चुनाव से पहले मऊ में उपचुनाव कराया जाए।
अब्बास ने कहा - कोर्ट में रखेंगे पक्ष
विधायकी खत्म होने पर अब्बास अंसारी ने प्रतिक्रिया दी कि यह एक “कानूनी प्रक्रिया” है। उनका कहना है कि उनका पक्ष कोर्ट में रखा जाएगा और वह भी बाकी नागरिकों की तरह न्याय पाने के लिए अदालत का रुख करेंगे।
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