देवदूत बनी केजीएमयू की डॉक्टर्स टीम जान का खतरा बन गई थी बच्चे के गले में धंसी कील

डॉक्टर्स को धरती पर भगवान यू ही नहीं कहा जाता, राजधानी के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर्स की टीम ने जटिल ऑपरेशन कर एक मासूम की जान बचाई है। केजीएमयू के डाक्टरों ने जटिल सर्जरी कर सात साल की बच्ची की जान बचाने में सफलता पाई।
दरअसल, खेल-खेल में एक कील बच्ची की गर्दन से होती हुई दिमाग में धंस गई थी,करीब 8 सेंटीमीटर (8 cm.) लम्बी कील दिमाग की एक नस के पास तक पहुंच गई थी। डाक्टरों का कहना है कि अगर समय से कील को निकाला न जाता तो बच्ची में स्थाई विकलांगता के साथ जान का खतरा हो सकता था।
सर्जरी टीम में शामिल डा. समीर मिश्रा ने बताया कि बच्ची बलरामपुर जिले के नवाजपुर की रहने वाली थी। पिछली 15 मई को खेलते समय एक 8 सेंटीमीटर की कील बच्ची की गर्दन में घुस गई। कील काफी पतली थी जिस कारण वह गर्दन और मुंह का चीरती हुई दिमाग तक पहुंच गई थी। घरवाले सबसे पहले उसे नजदीक के निजी अस्पताल ले जाए, जहां से डाक्टरों ने बच्ची को जिला चिकित्सालय भेज दिया। जिला चिकित्सालय में भी बच्ची का इलाज नहीं हो पाया तो डाक्टरों ने उसे केजीएमयू के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया।
ट्रामा में 16 मई को डाक्टर समर और डॉ. आशुतोष ने बच्ची को देखा और उसे तुरन्त भर्ती कराया। बच्ची की हालत के बारे में डा. समर ने ट्रामा सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप तिवारी और डॉ. समीर मिश्रा को जानकारी दी। उन्होंने जल्द से जल्द बच्ची के ऑपरेशन का फैसला लिया। क्योंकि कील गर्दन और मुंह के रास्ते होते हुए दिमाग तक गई थी जिस वजह से ईएनटी और न्यूरोसर्जरी के डाक्टरों से भी राय लेनी जरूरी थी। इसलिए ऑपरेशन के लिए तीनों विभागों के डाक्टरों की एक संयुक्त टीम बनाई गई। उसी दिन 16 मई की रात दस बजे डॉ. समीर मिश्रा और डॉ. वैभव जायसवाल की टीम ने इस चुनौती भरे जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया।
13 दिन पीआईसीयू में रही बच्ची
ऑपरेशन के बाद बच्ची की हालत काफी गंभीर हो गई थी। डॉ. समीर ने बताया कि ऑपरेशन तो पूरी तरह से सफल रहा मगर बच्ची की उम्र कम होने के कारण कई प्रकार की अन्य दिक्कतें आ गईं थीं। इसके लिए डॉ. विशाल की देखरेख में बच्ची को 29 तारीख तक पीआईसीयू में भर्ती करना पड़ा। अब बच्ची पूरी तरह से ठीक है और उसकी हालत में तेजी से सुधार हो रहा है।
ऑपरेशन करने वाली टीम
इस जटिल ऑपरेशन को करने वाली टीम में डॉ. समीर मिश्रा, डॉ. वैभव जायसवाल, डॉ. यादवेन्द्र, सीनियर रेजिडेंट डॉ. लोकेश, जेआर डॉ. अर्पिता, जेआर डॉ. अर्चना, एसआर डॉ. आकांक्षा, एसआर डॉ. विशाल, एसआर डॉ. रंजीत चन्द्र आदि शामिल रहे।
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