प्रशासन की लापरवाही या थाने की सीमा का विवाद? बलराम की मौत से उठे कई सवाल

सोमवार की दोपहर एक हृदयविदारक दृश्य ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। मनीरामपुरवा घाट पर 22 वर्षीय बलराम यादव की सरयू नदी में डूबने से मौत ने न केवल एक परिवार को उजाड़ दिया, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही और सीमा विवाद की पुरानी समस्या को फिर से सामने ला खड़ा किया।
बलराम यादव, जो प्रतिदिन की तरह रानीपुरवा गांव से अपनी भैंसों को नहलाने नदी किनारे गया था, हादसे का शिकार हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भैंस नहलाते समय उसका पैर फिसला और वह तेज बहाव में बह गया। उसके साथ मौजूद देशराज और धनीराम ने बचाने की भरपूर कोशिश की लाठी फेंकी, शोर मचाया लेकिन सब कुछ व्यर्थ साबित हुआ। बलराम करीब तीन मिनट तक नदी की लहरों से जूझता रहा और फिर सदा के लिए जलधारा में समा गया।
घटना की सूचना मिलते ही बदोसराय थाना पुलिस मौके पर पहुँची, लेकिन जल्द ही यह विवाद खड़ा हो गया कि घटनास्थल टिकैतनगर थाने की सीमा में आता है। इस असमंजस में बदोसराय पुलिस लौट गई और रेस्क्यू ऑपरेशन दो घंटे तक ठप पड़ा रहा।
इस बीच न तो पेशेवर गोताखोर समय से पहुँचे, न ही प्रशासन की कोई ठोस कार्रवाई सामने आई। स्थानीय ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर जबरदस्त आक्रोश फैल गया। उनका सवाल था—क्या एक युवक की जान से बढ़कर विभागीय सीमाएं हैं?
घटना के करीब एक घंटे बाद जब टिकैतनगर थाना प्रभारी रत्नेश पांडे मौके पर पहुँचे, तब जाकर बचाव कार्य दोबारा शुरू हो सका। इसके बाद एसडीएम प्रीति सिंह, सीओ गरिमा पंत और सीओ जटाशंकर मिश्र ने हालात को संभाला और गोताखोरों की मदद से तलाशी अभियान चलाया गया। देर शाम तक बलराम की खोज जारी रही, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
यह हादसा केवल एक दुखद मौत नहीं है बल्कि यह उस व्यवस्था की पोल खोलता है जिसमें विभागीय टकराव, देरी और समन्वय की कमी आम नागरिकों की जान पर भारी पड़ती है