योगी सरकार की पारदर्शिता से बदली लाखों नौजवानों की तकदीर

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वृंदावन योजना स्थित डिफेंस एक्सपो ग्राउंड आज एक ऐतिहासिक दृश्य का साक्षी बना, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में 60,244 नवचयनित पुलिस आरक्षियों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इस अवसर ने न केवल युवाओं को रोजगार दिया, बल्कि हजारों परिवारों को सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की नई दिशा भी दी।
इन नवचयनित अभ्यर्थियों में बड़ी संख्या में ऐसे युवा शामिल हैं जो अपने परिवार की पहली पीढ़ी के सरकारी कर्मचारी बने हैं। ये कहानियां सिर्फ नौकरी पाने की नहीं, बल्कि सिस्टम पर टूटे भरोसे के फिर से जुड़ने की हैं। जहां पहले “बिना पैसे सरकारी नौकरी नहीं मिलती” जैसी धारणा हावी थी, वहीं अब योगी सरकार की ईमानदार और पारदर्शी भर्ती प्रणाली ने उस मिथक को तोड़ दिया है।
किसान की बेटी बनी आरक्षी, परिवार की शान बनी रोशनी
फिरोजाबाद की रोशनी, जो किसान परिवार से आती हैं, आज अपने गांव में गौरव का प्रतीक बन चुकी हैं। उन्होंने बताया कि भर्ती की पूरी प्रक्रिया में एक रुपये की रिश्वत नहीं देनी पड़ी। यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पारदर्शी प्रणाली का ही परिणाम है।
बिना पैसे नौकरी की मिसाल बनी प्रीति यादव
बांदा की प्रीति यादव ने जब परिवार को अपनी सफलता की खबर दी, तो घर में त्योहार जैसा माहौल बन गया। उन्होंने बताया कि इस बार न सिफारिश लगी, न पैसे लगे सिर्फ मेहनत चली। उन्होंने कहा, “पहले सुना था कि खेत तक बेचने पड़ते हैं, आज योग्यता की जीत हुई है।”
दलित समुदाय से आकर बनी नई पहचान: आशीष गौतम
देवरिया के आशीष गौतम की कहानी उत्तर प्रदेश के सामाजिक बदलाव की प्रतीक है। मजदूर परिवार से आने वाले आशीष अब यूपी पुलिस में आरक्षी हैं। उनका कहना है, “अब भेदभाव नहीं, केवल प्रतिभा चलती है।”
“अब खेत नहीं बिकेंगे” – एक बेटे की भावुक पुकार
हरिरामपुर के राजकुमार यादव ने कहा कि पहले गांवों में कहा जाता था कि सरकारी नौकरी के लिए खेत तक बेचने पड़ते हैं। लेकिन योगी सरकार की पारदर्शी प्रक्रिया से उन्हें बिना खर्च के नौकरी मिली। “अब खेत नहीं बिकेंगे, मेहनत रंग लाएगी।”
योगी सरकार की भर्ती प्रणाली बनी बदलाव की कहानी
नवीन तकनीक, बायोमेट्रिक सत्यापन और CCTV निगरानी जैसी प्रक्रियाओं ने इस भर्ती को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया। यह महज एक नियुक्ति नहीं, ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन की सजीव मिसाल है।
हजारों चेहरे, एक भरोसा – योगी सरकार की ईमानदारी
देवरिया से लेकर फिरोजाबाद तक, श्रावस्ती से लेकर महोबा और अमेठी तक, एक स्वर में नवचयनितों ने कहा – “अब सरकारी नौकरी मेहनत से मिलती है, पैसे से नहीं।” इस भरोसे की जीत ने लाखों युवाओं के मन में प्रेरणा और आत्मविश्वास का संचार किया है।