झूठे आरोपों की बलि चढ़ा एक बाप: कौशाम्बी केस में निर्दोष साबित हुआ बेटा

कौशाम्बी के लोहंडा गांव में घटित एक दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल न्याय व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया, बल्कि यह सवाल भी उठाया कि क्या झूठे आरोपों की कीमत एक बेकसूर की ज़िंदगी होनी चाहिए?
8 वर्षीय बच्ची से कथित दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किए गए सिद्धार्थ तिवारी को एसआईटी जांच के बाद निर्दोष पाया गया। पुलिस के अनुसार, मामला निजी रंजिश से प्रेरित था और शिकायतकर्ता ने आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। परंतु सिद्धार्थ की बेगुनाही साबित होने से पहले ही, उनके पिता रंभऊ तिवारी ने आत्महत्या कर ली।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि केवल एक झूठे मुकदमे की कीमत किसी के पूरे परिवार को चुकानी पड़ सकती है।
घटना का क्रम:
- 28 मई: पीड़िता के पिता ने सिद्धार्थ के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया।
- 29 मई: सिद्धार्थ गिरफ्तार हुए।
- 4 जून: उनके पिता रंभऊ तिवारी ने बेटे की बेगुनाही साबित न कर पाने की पीड़ा में आत्महत्या कर ली।
- 5 जून: घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने नेशनल हाईवे-2 जाम कर दिया, जिससे पुलिस से झड़पें हुईं।
- 10 जून: कोर्ट द्वारा POCSO और दुष्कर्म की धाराएं हटाई गईं, और सिद्धार्थ को जमानत मिली।
पुलिस की लापरवाही और कार्रवाई:
पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि जांच में दोषी पाए गए तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है:
- ब्रजेश करवरिया (SHO, सैनी थाना)
- अलोक राय (पथरावा चौकी प्रभारी)
- कृष्णस्वरूप यादव (जांच अधिकारी)
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आश्वासन:
- सरथू विधायक पल्लवी पटेल ने सिद्धार्थ से मुलाकात कर शोक जताया और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
- बसपा प्रमुख मायावती के निर्देश पर पार्टी प्रतिनिधिमंडल 12 जून को सिद्धार्थ के परिवार से मिलेगा।