मास्को में गूंजी काशी की हिंदी- विश्व में फिर हो रहा हिंदी का बोल बाला

Jun 16, 2025 - 13:42
Jun 16, 2025 - 13:42
मास्को में गूंजी काशी की हिंदी- विश्व में फिर हो रहा हिंदी का बोल बाला

हिंदी अब केवल भारत की भाषा नहीं रही, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कर रही है। इसका सजीव उदाहरण हाल ही में रूस के मास्को स्थित रसियन स्टेट यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमैनिटीज (RSUH) में देखने को मिला, जहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के शिक्षकों ने रूसी छात्रों को हिंदी भाषा की गहराइयों से परिचित कराया।

प्रो. सत्यपाल शर्मा (काशी हिंदू विश्वविद्यालय) और डॉ. नीरज धनकड़ (महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) को RSUH के अंतरराष्ट्रीय दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र ने आमंत्रित किया था, जहाँ एक सप्ताह तक हिंदी भाषा पर व्याख्यान और कार्यशालाएं आयोजित की गईं।

प्रोफेसर सत्यपाल शर्मा ने जानकारी दी कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है और दुनिया के कई देशों में इसे जानने और सीखने की उत्सुकता तेजी से बढ़ रही है। उनके मुताबिक, आज का युवा वैश्विक स्तर पर हिंदी साहित्य और संवाद को समझना चाहता है।

डॉ. नीरज धनकड़ ने बताया कि RSUH बीते दो वर्षों से ऑनलाइन साहित्यिक उत्सवों का आयोजन कर रहा है, जिसमें दुनिया भर के छात्र शामिल होते हैं और रूसी तथा अन्य भाषाओं के महान लेखकों की रचनाएं पढ़ते हैं। उन्होंने हिंदी में रूसी साहित्य के अनुवाद से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किए।

कार्यक्रम के दौरान रूसी छात्रों ने भारतीय कवयित्री महादेवी वर्मा की कविताएं पढ़ीं। प्रोफेसर शर्मा ने छात्रों को आधुनिक हिंदी लघु कथाओं और व्याकरण की जटिलताओं पर व्याख्यान दिए। उन्होंने समकालीन साहित्य को उदाहरण स्वरूप रखते हुए छात्रों में नई चेतना का संचार किया।

डॉ. धनकड़ ने बताया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि संस्कृति की संवाहक होती है। इसी भाव को लेकर उन्होंने रूसी छात्रों से मुलाकात की और भारतीय छात्रों में रूसी भाषा के प्रति रुचि पर चर्चा की। कार्यक्रम के अंत में दोनों शिक्षकों ने छात्रों को काशी आने का आमंत्रण भी दिया, ताकि वे भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को नजदीक से देख सकें।